Saturday, April 7, 2012

आद्यन्तयोर्देवपदाङ्किताभ्यां व्यलोकि मध्योपि तथा पितृभ्याम्
यत्तादृशां पुण्यविशेष भाजाम् देवः कुतोप्युज्झति नो सनीडम् ।।


आद्यंत देव पदांकित दोनो
पितृमध्य स्वयं स्थापित मानो
स्थान ,समय कोई हो,पुण्यात्मा
सन्निकट सदा प्रभु को जानो ।।

देव तथा पितरों के मध्य स्वयं को स्थापित मान कर,
पुण्यात्मा के रूप में ईश्वर को सदा अपने निकट अनुभव करो ।