Sunday, May 5, 2013




शूरान्वयो यमलघून् विनिहत्य योधान्
जन्येशु मे जलकमप्यति रन्ध्रिताङ्गम ।
कर्ता कियत्यहमिहेति भयादिवासौ
मार्गम् तयोरदिश ढूढशरोत्करापि ।।

संग्राम शूर यदुकुलवर शौरि सुंदर तनु प्रबल बलशाली
धारीतीर्थ हत महत् योध्दा स्वविक्रम रंध्रितहृनांशुमाली
चंडांशु मम निज पितर को जब देव पराक्रम बन्धनकारी
जलपूरित कालिंदी भय से मार्ग दे श्रीकृष्ण शुभकारी ।।

शूरवीर वसुदेव जिनका सरीर सौष्ठवपूर्ण और बलशाली है तथा
जिन्होने अपने पराक्रम से चोटिल शरीर सो भी अनेक बडे योध्दाओं को
धरा पर सुलाया है ऐसे वसुदेव को भय से यमुना भी मार्ग दे रही है ।
श्रीकृष्ण इस प्रकार शुभकारी हुए हैं ।