पूर्ण ब्रह्माधिवर्षं विधृतगुणमधिश्रावणं चाधिताम्यत्-
पक्षं तत्राधिरोहिण्यधिरजनी तथाध्यष्ट मिस्पष्ट मिष्टम्
दातुं सद्भ्योधिमे दिन्यधिमथुरमधिष्ठाय तेजोधिकारा-
गारं किंचाध्यरिष्टं परमधिशयनं सर्वतः प्रादुरासीत् ।।
तिथी कृष्णपक्ष अष्टमी की, वर्षाऋतु श्रावण मास का,
अंधकार, तम सब हर,
प्रभा प्रसार करते भास्कर,
निर्गुण परब्रह्म सगुण कर,
मनोरथ है पूर्ण सुजन का, पूर्णब्रह्म कृष्ण सुजन्म सा ।।
वर्षाऋतु, श्रावण मास, कृष्णपक्ष, अष्टमी तिथी को रोहिणी नक्षत्र पर
लोगों का मनोरथ पूर्ण करने को पूर्णब्रह्म कृष्ण जी अवतरित हुए हैं ।
ये निर्गुण परब्रह्म सगुण साकार रूप में प्रकट हुए हैं वह भी कंस की
बंदी शाला में । इस अवसर पर मानो सूर्यदेव भी अंधकार को हर कर
अपनी प्रभा प्रसारित कर रहे हैं ।
Saturday, February 25, 2012
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