Monday, December 14, 2009

प्रोज्झित्यात्मानमिध्दापदि पदमपथे स्थापयिष्यन्तमश्वान
सन्मार्गेसबध्ददृष्टीन्त्सजवमपि तिरश्चोनियातोगुणान्स्वान
अप्याकृष्टान्कराभ्यामनुपयत इव प्रग्रहान्प्रास्य हस्त
ग्राहं जग्राहं कंस: सपदि तदलकान्दुर्मतिरदुर्गुणांश्च ।

पशुयोनि जन्मित चपल अश्व वे फिर भी
संकेतानुसरण जनित सहज गुण रूपी ।
सवेग चलते गये मार्ग पर बांधे दृष्टी
गुण कर्षण से अवरुध्द मार्ग कर कंसी ।
हस्त प्रक्षेपण जनित मार्ग-च्युत अश्व
गुण छोड दुमति ने धरे केश-देवकी ।
यद्यपि ये अश्व पशुयोनी में जन्मे हैं पर अपने दृत गति से चलते जाते हैं वे अपना सहज गुण नही छोडते । परंतु कंस ने लगाम कस कर घोडों को अपने मार्ग से अलग कर दिया और उस दुर्मति अपने रथ से उतर कर देवकी के केश अपने मुठ्ठी में कस लिये ।

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