Sunday, December 7, 2008

हरित्पालान्वेणोरमृतमधुरालापविवशान्
प्रकुर्वन्तङ्कालाभयसुखमहालाभदपदम्
विशालाक्षङ्कचिन्नवघनतमाला भमनिशम्
भजे गोधुग्बालानयनवनमालापरिचितम् ।

दिग्पाल हुए विव्हल अमृत के
समान मधुवंशी आलाप से
मृत्यु, काल, भय मुक्त हुए जन
अभय रूप सुख महा लाभ से ।

विशालाक्ष नवघन तमाल
आभा वाले ओ घनशाम
ग्वालिन-वधु नयन वनमालिका के
प्रियकर भगवन् तुम्हे प्रणाम ।

अनिल काले

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